Premchand Ki Kahani Shanti-1 | मुंशी प्रेमचंद — शांति-1 | Hindi Kahani | Story

Hindi Kala
Mar 27, 2022

स्‍वर्गीय देवनाथ मेरे अभिन्‍न मित्रों में थे। आज भी जब उनकी याद आती है, तो वह रंगरेलियां आंखों में फिर जाती हैं, और कहीं एकांत में जाकर जरा रो लेता हूं। हमारे देर रो लेता हूं। हमारे बीच में दो-ढाई सौ मील का अंतर था। मैं लखनऊ में था, वह दिल्‍ली में; लेकिन ऐसा शायद ही कोई महीना जाता हो कि हम आपस में न मिल पाते हों। वह स्‍वच्‍छन्‍द प्रकति के विनोदप्रिय, सहृदय, उदार और मित्रों पर प्राण देनेवाला आदमी थे, जिन्‍होंने अपने और पराए में कभी भेद नहीं किया।

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